लूमर बैठा न्यूज़ चैनल की वर्तमान स्थितियों के बारे में सोच ही रहा था की उसे कुछ विशेष ख़बर मिली । इससे पहले भी इस चैनल की कहानी आप सभी को बताया था .एक रांची बेस्ड न्यूज़ चैनल जो अभी आने की तैयारी में है ,वो बिहार-झारखण्ड में बहुत सारे "प्रोजेक्ट लेकर मीडिया हाउस के नाम पर खेल खेलना शुरू कर दिया है, जिनमें कृषि,हेल्थ,सुगर मिल,मेडिकल कॉलेज & हॉस्पिटल, बिहार के सारे अस्पताल में दवा की दुकानें खोलना शामिल है।ताजा ख़बर के अनुसार uria- बीज को लेकर खेल भी शुरू हो गया है।
इसी खेल को लेकर पिछलेl माह बिहार के कुछ कैबिनेट मंत्रियों के साथ कई बैठकें हो चुकी है .ख़बर यहाँ तक है की उन मंत्रियों के ऊपर "विशेष ध्यान "दिया जा रहा है। अब देखना है की ये लोग क्या गुल खिलते है।
वैसे चर्चित मीडिया हाउस ने २५ अप्रैल को रांची में अपना एक प्रोग्राम रखा था जिसमें झारखण्ड के मुख्य मंत्री मुख्य अतिथि थे। उस कार्यक्रम में मीडिया हाउस के चेयरमैन भी उपस्थित थे ।i कुख्यात सीईओ ने अपनी बातों से मुख्य मंत्री को फंसाने की भरसक कोशिश की । लेकिन मुख्य मंत्री महोदय सीईओ के जाल में नही फंसे। वैसे उस कार्यक्रम के लिए लालू जी को आमंत्रित किया गया था,किंतु वो सिंगापूर के बहने बच निकले .आप सोच रहे होंगे की लालू जी को बहाना बनने की जरुररत क्यो पड़ गई .बात दरअसल यह थी की उनको बुलाने की जिम्मेदारी बिहार इंचार्ज को सौंपा गया था जिसे लालू जी बहुत चाहते रहे हैं.वैसे उसी ने अपनी कंपनी के लिए अनेक विभागों से कई टेंडर तक निकलवा दिया .लेकिन............... ।
आजकल सुनने में आया है की बिहार के एक विख्यात मंत्री के साथ सीईओ खूब खिचडी पका रहा है. अब तक अनगिनत बैठकें हो चुकी है। लेकिन नीतिश की सरकार में खिचडी कितनी पकती है यह तो समय ही बतायगा ।
अंधेर नगरी चौपट रजा
एक और ख़बर --सीईओ ने अपने दर्जन भर स्टाफों ko bahar निकाल दिया है.कारन भी अलबेला है --उसने सभी को महीने में तेरह-पन्द्रह स्टोरी करने का काम दिया ,साथ ही साथ एक पत्रिका का एक हज़ार ग्राहक बनाने का अतिरिक्त टास्क दे दिया .बेचारे क्या करते सीईओ सब से पंगा ,न बाबा न । उन लोगों ने किसी तरह कुछ ग्राहक महीने भर के अन्दर बना सके .टारगेट का पुरा नही होना उनके लिए आफत लानी के लिए काफी था . .....और बहार कर दिए गए.उन लोगों का दो -तीन माह का वेतन भी रोक दिया गया ।
Saturday, 12 July 2008
Saturday, 5 July 2008
सीईओ के हाथ में नारियल
लूमर को उड़ती उड़ती ख़बर मिली कि एक आने Wआले न्यूज़ चैनल के सीईओ को उनके ही ऑफिस में उनके ही अधिकारीयो ने बुरी तरह पीटाई कर दी । कारण ,सीईओ साहब लगातार अपने सहकर्मियों का शोषण करते रहे । वे उनको समय पर वेतन नही देते थे ,हद तो तब हो गई जब उन्होंने अपने समाचार संपादक एवं ह्यूमन रिसोर्स हेड का वेतन पुरे माह का काट लिया । बहस होती गई ,होती गई ........................................................ और सीईओ साहब उनके आक्रोश का कोपभाजन का शिकार हुए .यह चैनल रांची बेस्ड है,जहाँ सीईओ का आतंक मचा हुआ है।
मीडिया वालों के विषय मेंन कहा जाता है कि ये दूसरों की समस्याओं को उठाते है और दूसरों के शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करते हैं ,लेकिन एक विदम्बना इनके साथ बनी रहती है कि ये अपनी मीडिया कंपनी /बॉस के ख़िलाफ़ जो कि उनका शोषण करते है आवाज़ नही उठा पाते। कहा जाता है कि इंसान परिश्थितियों का गुलाम होता है ,ऐसी ही परिस्थिति से रांची से शुरू होने जा रहा उपग्रह चैनल के संपादक ,प्रोड्यूसर ,ह्यूमन रिसोर्स ,मार्केटिंग ,रिपोर्टर्स ,टेक्नीकल एक्सपर्ट्स आदि गुजर रहे हैं। उक्त चैनल में पिछले सात आठ माह के अन्दर लगभग २ दर्ज़न पत्रकारों को या तो हटा दिया गया या फिर ऐसी इस्थिति बना दी गयी कि वे छोड़ कर चले गए .२ दर्ज़न पत्रकारों का वेतन पिछले छ सात माह से नही दिया गया है । जो कुछ लोगो को चैक के रूप में दिया गया है उनका भी लगभग सारा चैक बौंस कर गया है ।
.....................................ऐसी स्थिति से गुजर रहे है बिहार ,झारखंड के पत्रकार । ये पत्रकार आख़िर वहां क्यों जाते है ? यह प्रश्न पुरे मीडिया जगत के लिए बहस का विषय है क्यूँ कि ये वही बिहार झारखण्ड के पत्रकार हैं जो मीडिया जगत में काफी ऊंचाई को छू रहे है पर अपने ही प्रदेश के मीडिया में उनकी स्थिति आर्थिक रूप से बदतर है
यह बात वैसे पत्रकारों से नही जुरा हुआ है जो राजधानी से जुड़े हुआ है । जिला ,अंचल ,प्रखंड पत्रकारों कि स्थिति अवर्णनीय है ,उनके बारे में कुछ भी लिखना कम लिखना होगा ।
हम बात कर रहे थे रांची के उस चैनल कि जहा का सीईओ तानाशाह के रूप में काम कर रहा है । इससे पहले सीईओ रांची में एक राष्ट्रीय चैनल का ब्यूरो चीफ था जहाँ उसने बिहार झारखण्ड से उक्त चैनल के लिए रिपोर्टर्स को बहाल करने के लिए ३५ हज़ार रुपैये लिए थे .मामला कोर्ट में लंबित है .सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उनके ऊपर १४ ,१५ केस है जिनमे से कुछ क्रिमिनल केस भी है । इन केसेज के कारण ही शायद चैनल को लाइसेंस सरकार ने अभी तक नही दिया है और ऐसा सुना जा रहा है कि लाइसेंस अगले छ माह तक मिलने कि संभावना नही है । "सीईओ के हाथ में नारियाल "ऐसा ही उस चैनल के एम्प्लोयीस सोचते हैं और यह भी सोचने पर मजबूर हैं कि कही उनका करियर भी तो नारियाल नही हो गया है ?
मीडिया वालों के विषय मेंन कहा जाता है कि ये दूसरों की समस्याओं को उठाते है और दूसरों के शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करते हैं ,लेकिन एक विदम्बना इनके साथ बनी रहती है कि ये अपनी मीडिया कंपनी /बॉस के ख़िलाफ़ जो कि उनका शोषण करते है आवाज़ नही उठा पाते। कहा जाता है कि इंसान परिश्थितियों का गुलाम होता है ,ऐसी ही परिस्थिति से रांची से शुरू होने जा रहा उपग्रह चैनल के संपादक ,प्रोड्यूसर ,ह्यूमन रिसोर्स ,मार्केटिंग ,रिपोर्टर्स ,टेक्नीकल एक्सपर्ट्स आदि गुजर रहे हैं। उक्त चैनल में पिछले सात आठ माह के अन्दर लगभग २ दर्ज़न पत्रकारों को या तो हटा दिया गया या फिर ऐसी इस्थिति बना दी गयी कि वे छोड़ कर चले गए .२ दर्ज़न पत्रकारों का वेतन पिछले छ सात माह से नही दिया गया है । जो कुछ लोगो को चैक के रूप में दिया गया है उनका भी लगभग सारा चैक बौंस कर गया है ।
.....................................ऐसी स्थिति से गुजर रहे है बिहार ,झारखंड के पत्रकार । ये पत्रकार आख़िर वहां क्यों जाते है ? यह प्रश्न पुरे मीडिया जगत के लिए बहस का विषय है क्यूँ कि ये वही बिहार झारखण्ड के पत्रकार हैं जो मीडिया जगत में काफी ऊंचाई को छू रहे है पर अपने ही प्रदेश के मीडिया में उनकी स्थिति आर्थिक रूप से बदतर है
यह बात वैसे पत्रकारों से नही जुरा हुआ है जो राजधानी से जुड़े हुआ है । जिला ,अंचल ,प्रखंड पत्रकारों कि स्थिति अवर्णनीय है ,उनके बारे में कुछ भी लिखना कम लिखना होगा ।
हम बात कर रहे थे रांची के उस चैनल कि जहा का सीईओ तानाशाह के रूप में काम कर रहा है । इससे पहले सीईओ रांची में एक राष्ट्रीय चैनल का ब्यूरो चीफ था जहाँ उसने बिहार झारखण्ड से उक्त चैनल के लिए रिपोर्टर्स को बहाल करने के लिए ३५ हज़ार रुपैये लिए थे .मामला कोर्ट में लंबित है .सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उनके ऊपर १४ ,१५ केस है जिनमे से कुछ क्रिमिनल केस भी है । इन केसेज के कारण ही शायद चैनल को लाइसेंस सरकार ने अभी तक नही दिया है और ऐसा सुना जा रहा है कि लाइसेंस अगले छ माह तक मिलने कि संभावना नही है । "सीईओ के हाथ में नारियाल "ऐसा ही उस चैनल के एम्प्लोयीस सोचते हैं और यह भी सोचने पर मजबूर हैं कि कही उनका करियर भी तो नारियाल नही हो गया है ?
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