जय हो संजय उपाध्याय जी ,आपने तो भिखारी ठाकुर की मशहूर कीर्ति "बिदेसिया '' को तो पुरा रिमिक्स ही बना दिया। हुआ की अचानक ही लूमर को पता चला की श्रीराम सेण्टर ,देल्ही में बिदिसिया नाटक हो रहा है। हम अपने मन को रोक नहीं सके और चल दिए नाटक को देखने।पर साहेब लोग , उपाध्याय जी ने तो कहानी का मूल सार तो रहने दिया ,बाकि गीतों के धून ,नाट्य प्रस्तुति ,..... हाय तोबा .... छी ...... । जबकि इस नाटक की यह ३९४ वीं प्रस्तुति थी।
पिछले वर्ष ही दिसम्बर माह में बोध गया ,बिहार में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की प्रस्तुति "बिदेसिया'' देखी थी ।इस अन्तर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता का उद्याघटन महामहिम राट्रपति महोदयाने किया था। क्या प्रस्तुति थी उपाध्याय जी , क्या संगीत था...क्या अभिनय ,क्या लोक नृत्य का समायोजन। वाह,वाह कर रहा था दिल ,चारों ओर तालिया -ही-तालिया बज रही थी । बाद में पता चला की ये लोग आरा के कलाकार जो महाराजा कॉलेज ,आरा के छात्र -छात्राएं थे । मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ की संजय जी ,एन एस डीके पास आउट हैं .वे रंगमंच के बहुत बड़े पिलर हैं ,नाटक की दुनिया के बहुत बड़े नाम हैं। अगर उन्हें बुरा लगता है तो लगे , लेकिन सौ बात की एक बात कीश्री राम सेंटर में किए गया बिदिसिया नाटक भोजपुरी के शेक्सपिअर कहे जाने वाले स्व०भिखारी ठाकर की नहीं ... संजय उपाध्याय की है। श्री राम सेंटर के पूर्व निदेशक रहे संजय जी को कम से कम यवनिका ,आरा का बिदेसिया देखना होगा .इस नाटक की प्रस्तुति में तो लाखों का खर्च आया होगा,पर दर्शक की संख्या मुश्किल से ५०० होगी। मगर आरा में हजारो के खर्च से उम्दा "बिदेसिया " नाटक देखने को मिलता है जहाँ दर्शको की संख्या २००००-२५००० होती है। संजय जी मुंबई गए ,वहां भी बिदेसिया करेंगे,मगर हश्र रिमिक्स बिदिसिया ही होगा.भिखारी के नाम से जीने वाले लोगों को कम से कम ओरिजनल संगीत व् संवाद के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए.फिर भी लूमर की ढेर साडी शुभकामनायें संजय जी को ,आप लगातार नाटकों को करते रहें ............................. ।
पिछले वर्ष ही दिसम्बर माह में बोध गया ,बिहार में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय की प्रस्तुति "बिदेसिया'' देखी थी ।इस अन्तर विश्वविद्यालय प्रतियोगिता का उद्याघटन महामहिम राट्रपति महोदयाने किया था। क्या प्रस्तुति थी उपाध्याय जी , क्या संगीत था...क्या अभिनय ,क्या लोक नृत्य का समायोजन। वाह,वाह कर रहा था दिल ,चारों ओर तालिया -ही-तालिया बज रही थी । बाद में पता चला की ये लोग आरा के कलाकार जो महाराजा कॉलेज ,आरा के छात्र -छात्राएं थे । मैं यह अच्छी तरह से जानता हूँ की संजय जी ,एन एस डीके पास आउट हैं .वे रंगमंच के बहुत बड़े पिलर हैं ,नाटक की दुनिया के बहुत बड़े नाम हैं। अगर उन्हें बुरा लगता है तो लगे , लेकिन सौ बात की एक बात कीश्री राम सेंटर में किए गया बिदिसिया नाटक भोजपुरी के शेक्सपिअर कहे जाने वाले स्व०भिखारी ठाकर की नहीं ... संजय उपाध्याय की है। श्री राम सेंटर के पूर्व निदेशक रहे संजय जी को कम से कम यवनिका ,आरा का बिदेसिया देखना होगा .इस नाटक की प्रस्तुति में तो लाखों का खर्च आया होगा,पर दर्शक की संख्या मुश्किल से ५०० होगी। मगर आरा में हजारो के खर्च से उम्दा "बिदेसिया " नाटक देखने को मिलता है जहाँ दर्शको की संख्या २००००-२५००० होती है। संजय जी मुंबई गए ,वहां भी बिदेसिया करेंगे,मगर हश्र रिमिक्स बिदिसिया ही होगा.भिखारी के नाम से जीने वाले लोगों को कम से कम ओरिजनल संगीत व् संवाद के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए.फिर भी लूमर की ढेर साडी शुभकामनायें संजय जी को ,आप लगातार नाटकों को करते रहें ............................. ।