Sunday, 24 August 2008

ओलम्पिक का खार क्रिकेट पर क्यों

आजकल लुमर लुमरई छोड़ने के चक्कर में ओलम्पिक पर ध्यान देने लगा है । खेळ में एक अरब आबादीवाला भारत का प्रदर्शन बहुत ही निराशा जनक पूर्ण रहता है। ओलम्पिक में एक गोल्ड सहित मात्र तीन मैडल लेना यह भारत के लिए कितना गर्व की बात है ,यह विचारणीय अवश्य है। फिर भी मेरे भारत को गोल्ड मिला इस पर मैं खुश जरुर हूँ। लेकिन अन्य खेलों में हमारे प्रदर्शन को लेकर क्रिकेट को ही जाने क्यों दोषी माना जाता रहा है। जबकि इस खेल में हमने दो बार विश्व कप पाया है। होकी के लिए हम क्वालीफाई नही कर पाये तो दोषी क्रिकेट,चाइना की तुलना में हम खेलो में कही नही है तो भी दोष क्रिकेट का ही है। काहे भाई। अरे हमारे ही देश का न कहावत है 'खेलोगे कूदोगे होगे ख़राब'। तो भाई ख़राब कौन बनना चाहता है।अब इससे खेल का बुरा हो रहा है तो हमारा और हमारी सरकार का क्या दोष। हम सब तो अपनी परम्परा ही निभा रहे है। हम तो इतने पर ही मगन है की आई टी में तो आगे है। आज भारत का हर घर अपने होनहारों को खेल पर ध्यान देने से रोकता है । हा कुछ सिरफिरे अभी है जो खेल जैसी बेकार चीज को अपना तन मन धन सबकुछ दे रहे है । अरे वाही ...क्या तो नाम है भिवानी। वाही के बोक्सारों ने तहलका मचाया है न। पर बदले में नाम के आलावा उन्हें क्या मिल रहा। उसी दिन टीवी पर देखा किस कदर तंगहाली में कटती है उनकी जिन्दगी। अरे लुमर की भी आँखे भर आईं। तो भाई मेरे क्या जरूरत है ऐसे खेल को अपना kamसबकुछ देने का,जो दो वक्त की रोटी न दे सके। इससे तो अच्छा है न क्रिकेट । कम से कम इसके खिलाड़ियों को भूखे तो नहीं मरना पड़ता । भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने तो भारतीय खेल विकास परिषद् को पचास करोड़ देना की घोषणा कर अपने विरोधियों का तो मुहँ बंद ही कर दिया .वाह भाई ,पवार जी आगे क्या कोई गुल खिलाना है ........

1 comment:

Bandmru said...

lumar g lagta hain aapke man men kafi rosh hai. pr hamari bhartiya prampara hi kuch eaisi hain ki " pahle apna tb jag sara". isliye ye desh hai nayara...?

shayad is olmpik se hamare desh ka nara badal jaye.

khel kud kr karo tum kaam.
raushan karo desh ka naam...
achchha likha hain pr kafi dino baad darshan huye hain aapke ...
likhte rahen. good luck......