बिहार के आरा जिला का छोटा सा गाँवबसंतपुर। यह कोई मामूली गाँव नहीं बल्कि गाँव में १७ अक्तूबर १९४७ को इक जिनिओउस ने जन्म लिया ,उस जिनिउस का नाम वशिष्ठ नारायण सिंह है। कहते हैं इस गणितज्ञ के दिमाग का लोहा पूरा विश्व मानता था। पर सिज्रोफिनिया नमक मानसिक बीमारी के कारन ये शख्स जीवन के सूत्रों में उलझकर रह गया।
प्रारम्भिक जीवन
वशिष्ठ नारायण बचपन सही प्रतिभाशाली थे।इन्होने नेतरहाट स्कूल से पढाई की और १९६३ की हायर सेकोन्दारी परीक्षा में बिहार टौपर बने। आगे की पढ़ाई के लिए साइंस कालेज ,पटना में दाखिला लिया। ये घटना है बी स सि की प्रथम वर्ष की। गणित के विख्यात प्रोफेसर डी नाथ अपना क्लास ले रहे थे,उस समय वशिष्ठ ने एक मैथ को सैट तरीके से बनाकर सबको अच्चम्भित कर दिया .वशिष्ठ की प्रतिभा के कारन कालेज के प्रिंसपल डा नागेन्द्र नाथ उन्हें अपने बेटे की तरह मानने लगे।इसी समय कैलिफोर्निया के विद्वान विज्ञानी डा केलि का साइंस कालेज में आगमन हुआ। डा नाथ ने वशिष्ठ का परिचय डा केली से कराया, मिलकर केलि अच्चम्भित रह गए। उन्होनें वशिष्ठ को शोध के लिए अमेरिका बुलाया। तब वशिष्ठ स्नातक भी नहीं किए थे .इसके लिए एक परीक्षा समिति का गठन किया गया,जहाँ तिन साल के कोर्स को वशिष्ठ ने एक साल में पूरा किया। १९६५ में वे अमेरिका के लिए उड़ान भाड़े ।
----तो दोस्तों सिपाही का बेटा अमेरिका जा पहुँचा ----------------क्रमशः
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Wednesday, 28 January 2009
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