बिहार के एक दैनिक अख़बार के मशहूर कार्टूनिस्ट की एक वाकया के साथ लुमरई करने की गुस्ताखी कर रहा है लूमर। बिहार के यूथ आईकन के नाम से जाने जाने वाले कार्टूनिस्ट महोदय के संपादक जी बिल्कुल ही नए आए हुए हैं। संपादक जी को क्षेत्रीय शब्दों की बहुत ही कम जानकारी है ऐसी बातें आम हो गयी है। इस बात का खामियाजा आए दिन कार्टूनिस्ट महोदय को झेलना पड़ता है.अपने संपादक जी को लिट्टी से लेकर चोखा तक जैसे शब्दों की जानकारी देंना पड़ता है।चुकी कार्टूनिस्ट की खास पहचान अपने कार्टून के साथ साथ कमेन्ट को लेकर ज्यादा है।
एक दिन का वाकयाकार्टूनिस्ट ने पर्पराताजैसे शब्द का प्रयोग अपने एक कार्टून में किया ,फ़िर क्या था संपादक जी जो की बिहार के ही रहने वाले भी थे ,ने इसका अर्थ पूछा - "परपराता " का अर्थ क्या हुआ?
बेचारे परेशां कार्टूनिस्ट उन्हें समझाते समझाते थक गए, पर समझा नहीं पाए । किंतु वो हार नहीं माने,उन्होंने संपादक जी को घर पर एक पार्टी दे डाली । देर रात उनकी पार्टी चलती रही -लिट्टी-मिट की पार्टी थी ,तीखा होने के बावजूद संपादक जी सहित सबने दम भर खाया .देर रात हो जाने से ,रात संपादक जी कार्टूनिस्ट के घर पर ही बिताये ,सुबह हुई वो बाथरूम से निबटकर आए ,संपादक जी बोले --आ हो ... बारा परपराता
Friday, 6 February 2009
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1 comment:
jai hooooooooooooooo lumar g ki.....kripa idhar bhi banaye rakhiye.
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